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पूर्व I.R.S. अधिकारी एवं समाजसेवी बिनोद चौबे ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, मंदिरों के पुजारियों को मासिक भत्ता देने की रखी मांग

* डा. बी एन चौबे फाउंडेशन की तरफ से दो ज्ञापन दिये गए।

BY ADMIN 

M V ONLINE BIHAR NEWS

बक्सर :- बिहार के पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी एवं सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे बिनोद चौबे ने आज बिहार के महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और राज्य के विभिन्न मंदिरों में सेवा दे रहे पुजारियों को मासिक भत्ता दिलाने हेतु एक ज्ञापन सौंपा।

राज्यपाल से मुलाकात के दौरान बिनोद चौबे ने कहा

"बिहार के हिन्दू मंदिर/मठ, जैन मंदिर, गुरुद्वारा और बौद्ध मंदिर/मठ के पंडित, पुजारी और पुरोहित, सिख ग्रंथी की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्हें सरकार की तरफ़ से प्रतिमाह 25,000 से 30,000 रुपय तक न्यूनतम भत्ता तथा इनके बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा, और आवास मुहैया कराया जाए। इन पण्डित, पुजारियों और पुरोहितों के वज़ह से सांस्कृतिक, अध्यात्मिक और धार्मिक विकास तथा समाज को एक जुट रखने और आगे की पीढ़ियों को इन सब के बारे में संदेश देने में इन लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने ज्ञापन के जरिए यह भी कहा है कि हजारों मंदिरों में ऐसे पुजारी कार्यरत हैं, जो बेहद दयनीय आर्थिक स्थिति में जी रहे हैं। वे बिना किसी नियमित आय के केवल धार्मिक आस्थाओं के आधार पर सेवा कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन पुजारियों को एक निश्चित मासिक भत्ता प्रदान कर उनके जीवन यापन को सम्मानजनक बनाए

सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम

बिनोद चौबे ने ज्ञापन में बक्सर के अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए, इसे पूरे बिहार का अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी तथा केंद्र बनाया जाए। इसे काशी, अयोध्या, प्रयागराज तथा उज्जैन के तौर पर एक धार्मिक स्थान की तरह विकसित किया जाये। यहां पूरे भारत तथा विदेशों से लोग आएंगे। यह एक पर्यटन स्थल की तरह भी विकसित होगा। इससे न केवल स्थानीय बल्कि पूरे बिहार को आर्थिक लाभ मिलेगा। रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार के राजस्व में भी विभिन्न रूप से वृद्धि होगी।

मंदिरों के रख-रखाव और धार्मिक धरोहरों की रक्षा

उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुजारी आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, तो मंदिरों की व्यवस्था, धार्मिक परंपराएं और सांस्कृतिक धरोहरें भी सुरक्षित रहेंगी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह एक नियमित प्रणाली बनाकर सभी पंजीकृत मंदिरों के पुजारियों को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कर उन्हें मासिक सहयोग राशि दे।

राज्यपाल ने दिया आश्वासन

बिनोद चौबे द्वारा दिए गए ज्ञापन को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गंभीरता से लिया और कहा कि यह मुद्दा अत्यंत संवेदनशील एवं विचारणीय है। और अश्वासन दिया कि वे इन मुद्दों को लेकर बिहार सरकार से विचार विमर्ष करेंगे और आगे की कारवाई करेंगे.

स्थानीय लोगों में सराहना

इस पहल की खबर फैलते ही स्थानीय धार्मिक संगठनों और आम जनता ने बिनोद चौबे की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह मांग उन लोगों के लिए आवाज है, जो वर्षों से धर्म की सेवा कर रहे हैं, लेकिन खुद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। हालांकि ज्ञापन देने के समय बिनोद चौबे के साथ हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व पंडित भक्ति शरण शास्त्री, जैन धर्म से शशांक जैन, सिख धर्म से कृपाल सिंह तथा साथ में कमला कान्त तिवारी, शंभूनाथ चौबे मौजूद रहे. इनके अलावा डॉ सरोज चौबे, सुजीत दूबे, गिरीश चंद्र दूबे, शैलेंद्र ओझा, संजय कुमार, और शैलेंद्र तिवारी थे.

पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी एवं समाजसेवी बिनोद चौबे की यह पहल एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करती है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मांग को कितनी प्राथमिकता देती है और कब तक पुजारियों को यह सम्मानजनक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

पूर्व I.R.S. अधिकारी एवं समाजसेवी बिनोद चौबे ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, मंदिरों के पुजारियों को मासिक भत्ता देने की रखी मांग

पूर्व I.R.S. अधिकारी एवं समाजसेवी बिनोद चौबे ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, मंदिरों के पुजारियों को मासिक भत्ता देने की रखी मांग

* डा. बी एन चौबे फाउंडेशन की तरफ से दो ज्ञापन दिये गए।

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बक्सर :- बिहार के पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी एवं सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे बिनोद चौबे ने आज बिहार के महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और राज्य के विभिन्न मंदिरों में सेवा दे रहे पुजारियों को मासिक भत्ता दिलाने हेतु एक ज्ञापन सौंपा।

राज्यपाल से मुलाकात के दौरान बिनोद चौबे ने कहा

"बिहार के हिन्दू मंदिर/मठ, जैन मंदिर, गुरुद्वारा और बौद्ध मंदिर/मठ के पंडित, पुजारी और पुरोहित, सिख ग्रंथी की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्हें सरकार की तरफ़ से प्रतिमाह 25,000 से 30,000 रुपय तक न्यूनतम भत्ता तथा इनके बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा, और आवास मुहैया कराया जाए। इन पण्डित, पुजारियों और पुरोहितों के वज़ह से सांस्कृतिक, अध्यात्मिक और धार्मिक विकास तथा समाज को एक जुट रखने और आगे की पीढ़ियों को इन सब के बारे में संदेश देने में इन लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने ज्ञापन के जरिए यह भी कहा है कि हजारों मंदिरों में ऐसे पुजारी कार्यरत हैं, जो बेहद दयनीय आर्थिक स्थिति में जी रहे हैं। वे बिना किसी नियमित आय के केवल धार्मिक आस्थाओं के आधार पर सेवा कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन पुजारियों को एक निश्चित मासिक भत्ता प्रदान कर उनके जीवन यापन को सम्मानजनक बनाए

सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम

बिनोद चौबे ने ज्ञापन में बक्सर के अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए, इसे पूरे बिहार का अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी तथा केंद्र बनाया जाए। इसे काशी, अयोध्या, प्रयागराज तथा उज्जैन के तौर पर एक धार्मिक स्थान की तरह विकसित किया जाये। यहां पूरे भारत तथा विदेशों से लोग आएंगे। यह एक पर्यटन स्थल की तरह भी विकसित होगा। इससे न केवल स्थानीय बल्कि पूरे बिहार को आर्थिक लाभ मिलेगा। रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार के राजस्व में भी विभिन्न रूप से वृद्धि होगी।

मंदिरों के रख-रखाव और धार्मिक धरोहरों की रक्षा

उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुजारी आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, तो मंदिरों की व्यवस्था, धार्मिक परंपराएं और सांस्कृतिक धरोहरें भी सुरक्षित रहेंगी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह एक नियमित प्रणाली बनाकर सभी पंजीकृत मंदिरों के पुजारियों को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कर उन्हें मासिक सहयोग राशि दे।

राज्यपाल ने दिया आश्वासन

बिनोद चौबे द्वारा दिए गए ज्ञापन को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गंभीरता से लिया और कहा कि यह मुद्दा अत्यंत संवेदनशील एवं विचारणीय है। और अश्वासन दिया कि वे इन मुद्दों को लेकर बिहार सरकार से विचार विमर्ष करेंगे और आगे की कारवाई करेंगे.

स्थानीय लोगों में सराहना

इस पहल की खबर फैलते ही स्थानीय धार्मिक संगठनों और आम जनता ने बिनोद चौबे की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह मांग उन लोगों के लिए आवाज है, जो वर्षों से धर्म की सेवा कर रहे हैं, लेकिन खुद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। हालांकि ज्ञापन देने के समय बिनोद चौबे के साथ हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व पंडित भक्ति शरण शास्त्री, जैन धर्म से शशांक जैन, सिख धर्म से कृपाल सिंह तथा साथ में कमला कान्त तिवारी, शंभूनाथ चौबे मौजूद रहे. इनके अलावा डॉ सरोज चौबे, सुजीत दूबे, गिरीश चंद्र दूबे, शैलेंद्र ओझा, संजय कुमार, और शैलेंद्र तिवारी थे.

पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी एवं समाजसेवी बिनोद चौबे की यह पहल एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करती है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मांग को कितनी प्राथमिकता देती है और कब तक पुजारियों को यह सम्मानजनक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।