anish केसठ में जब मर गया बकरा तो निकाली गई गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा, शामिल हुए सैकड़ों लोग - . "body"

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केसठ में जब मर गया बकरा तो निकाली गई गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा, शामिल हुए सैकड़ों लोग



BY ADMIN

M V ONLINE BIHAR NEWS/केसठ: पशु प्रेम की जीती जागती मिसाल केसठ गांव में देखने को मिली है. यहां बकरे की मौत के बाद गांव में शोक की लहर दौड़ गई .तो वहीं, बकरे का ग्रामीणों ने हिंदू रीति रिवाज से बकायदा उसका अंतिम संस्कार किया.अंतिम संस्कार से पहले बकरे की शव यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई. इस दौरान गंगा माई का जयघोष भी हुआ.  वही यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बन हुआ है. ग्रामीण असलम हुसैन ने बताया कि एक बकरा पाला गया था. जिसकी देखभाल ग्रामीण पुत्रवत करते थे. बकरा विगत दस दिनों से अस्वस्थ चल रहा था. जिसे ग्रामीणों ने मिलकर उसका इलाज कराया.परंतु उसे बचाया नहीं जा सका. उसके अंतिम संस्कार हिंदू-रिवाज से करने को लेकर ग्रामीणों ने बक्सर लेकर गए.


असलम ने बताया कि उसके आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन ग्रामीणों के सहयोग से किया जाएगा. बकरे के  शव यात्रा में पूरा गांव शामिल हुआ. शव यात्रा पुराना बाजार से निकलकर मुख्य मार्ग होते हुए नया बाजार पहुंचा. शव यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए. जहां से वाहन के माध्यम से ग्रामीणों ने अंतिम दाह संस्कार करने को लेकर बक्सर ले गए.

केसठ में जब मर गया बकरा तो निकाली गई गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा, शामिल हुए सैकड़ों लोग

केसठ में जब मर गया बकरा तो निकाली गई गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा, शामिल हुए सैकड़ों लोग



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M V ONLINE BIHAR NEWS/केसठ: पशु प्रेम की जीती जागती मिसाल केसठ गांव में देखने को मिली है. यहां बकरे की मौत के बाद गांव में शोक की लहर दौड़ गई .तो वहीं, बकरे का ग्रामीणों ने हिंदू रीति रिवाज से बकायदा उसका अंतिम संस्कार किया.अंतिम संस्कार से पहले बकरे की शव यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई. इस दौरान गंगा माई का जयघोष भी हुआ.  वही यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बन हुआ है. ग्रामीण असलम हुसैन ने बताया कि एक बकरा पाला गया था. जिसकी देखभाल ग्रामीण पुत्रवत करते थे. बकरा विगत दस दिनों से अस्वस्थ चल रहा था. जिसे ग्रामीणों ने मिलकर उसका इलाज कराया.परंतु उसे बचाया नहीं जा सका. उसके अंतिम संस्कार हिंदू-रिवाज से करने को लेकर ग्रामीणों ने बक्सर लेकर गए.


असलम ने बताया कि उसके आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन ग्रामीणों के सहयोग से किया जाएगा. बकरे के  शव यात्रा में पूरा गांव शामिल हुआ. शव यात्रा पुराना बाजार से निकलकर मुख्य मार्ग होते हुए नया बाजार पहुंचा. शव यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए. जहां से वाहन के माध्यम से ग्रामीणों ने अंतिम दाह संस्कार करने को लेकर बक्सर ले गए.