जुलूस निकालकर मनाया गया मोहम्मद साहब का जन्मदिन
मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश पर निकला शानदार जुलूस
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M V ONLINE BIHAR NEWS
बक्सर :- आज हजरत मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश (जश्न-ए-मिलाद-उन-नबी) के मौके पर एक भव्य और शानदार जुलूस निकाला गया। इस धार्मिक और सामुदायिक आयोजन में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने पूरे उत्साह और आस्था के साथ जुलूस में भाग लिया। वहीं मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय के सचिव एवं मशहूर चिकित्सा डॉ सैयद दिलशाद आलम कादरी ने कहीं मौका था मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर होने वाले जुलूस का जब लाखो लोग बक्सर के सड़क पर उतरे।
इसी भीड़ को संबोधन में डॉक्टर दिलशाद ने कहा की इस्लाम अमन और चमन का पैगाम देता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का परचम लहराने वाला पर्व है जिसे दुनिया के करोड़ों लोग मनाते हैं। ईद और बकरीद से भी बड़े इस पर्व पर लाखो नमाजी मस्जिद में नमाज और जलसा मिलाद करते हैं। मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म लगभग 570 ई में अरब के मक्का शहर में हुआ था इस्लाम के संस्थापक और कुरान के प्रचारक माने जाते हैं परंपरागत रूप से कहा जाता है कि उनका जन्म 570 में ही हुआ था। वो 6 साल की उम्र में अनाथ हो गए थे और फिर जब उनके दादा की मृत्यु हुई तो वह फिर अनाथ हो गए और उनका पालन पोषण उनके चाचा ने किया वर्ष 610 में जब वह 40 वर्ष के थे उन्हें गुफा में देवदूत जिब्रील अलैहिस्सलाम के दर्शन हुए
जिन्होंने बताया कि मोहम्मद को अल्लाह के नबी के रूप में चुना गया है। डॉक्टर दिलशाद ने यह भी कहा कि पैगंबर मोहम्मद इस्लाम के लिए अमन चमन का प्रचार किया उनकी अनेक लड़ाइयां जो अमन और चमन का पैगाम देने के लिए लड़ी गई जिसमें जंगे बद्र की लड़ाई ,जंगे उहूद की लड़ाई,जंगे खैबर जंगे तैफ की लड़ाई खैबर और कर्बला की लड़ाई बहुत ही मशहूर हो मारूफ है ।इस्लाम के मानने वाले को शांति से रहने और भाई चारे से रहने के लिए हुज़ूर आका ने सबको बताया जिससे आज भी दुनिया में अमन चमन मौजूद है।
डॉक्टर खालिद राजा ने कहा की इस्लाम धर्म में आस्था रखने वालों के लिए ये सबसे बड़ा पर्व है। कमिटी के नसीम और हमीद राजा ने कहा की इस साल और अच्छे से जुलूस निकाला गया जिसमें लाखों लोग सड़क पर शांति का पैगाम देरहे हैं।मौके पर नसीम कल्लू लल्लू लाल बाबू मुस्ताक सदरू अंसारी सहाबू टोनी फहीम राजा जॉनी सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।मौके पर सरिमपुर नई बाजार थाना रोड खलासी मुहल्ला से सभी ने जुलूस निकाला।जुलूस का अंत दरिया शाहिद के आस्ताने पर समाप्त हुआ।