anish कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का नही करना चाहिए परित्याग-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज - . "body"

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कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का नही करना चाहिए परित्याग-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज


By admin

M v online bihar news/बक्सर/जिले के ठोरा गांव स्थिति दूधेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में चल रहे गंगा पुत्र श्री लक्ष्मी नारायण महाराज के सानिध्य में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ जिसमे भक्तो की संख्या काफी देखी जा रही है। वही यज्ञ में आए हुए श्रद्धालुओ ने कहा की ऐसा लगता है जैसे मानो भगवान नारायण के चरणों में जगह मिल गया हो। 


श्री स्वामी जी ने भक्तो को बताते हुए कहा की जीवन मे कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का परित्याग नही करना चाहिए। धर्म का मतलब भगवान ,जो वेद कहता हो शास्त्र एवम संत कहते है, उन कार्यों को स्वीकार करना,प्रहलाद के चरित्र की ये विशेषता है,आस्तिक को तो सबने भगवान का दर्शन करादिया ,प्रहलाद ने नास्तिक को भी भगवान का दर्शन करादिया, हिरणकाश्यप ने मना कर दिया हमारे राज्य में कोई यज्ञ , दान, तप नही करेगा, उसी के घर मे भक्त प्रह्लाद हुए,प्रह्लाद को बहुत मारने का प्रयास किया गया , पहाड़ से फेकवाया गया, विस देकर मरने का प्रयास किया, होलिका के द्वारा अग्नि में जलाने का प्रयास किया गया,लेकिन भगवान की कृपा से बच जाते।


अंत में कहा ये प्रह्लाद बता मैं थोड़ा क्रोध करता हु तो तीनो लोक हमसे लापता है पर तू नही डरता, प्रह्लाद ने कहा हे पिता श्रीआप जिसके बल से अपने आप को बलवान मानते हो उसी के कृपा से मैं आपसे नही डरता हू,कहा है तेरा भगवान, कहा सर्वत्र , कसौ यदि सर्वत्र कस्मात स्तंभे न दृश्य ते।। अगर ओ हर जगह विराजमान है तो क्या इस खंभे में भी है, हा पिता श्री मेरी दृष्टी से देखो तो खंभे में भी भगवान है, ज्यो ही खंभे पर खड्ग का प्रहार किया खंभ को तोड़ कर भगवान नरसिंह प्रकट हो गए।संध्या के समय देहली पर अपने जांघ पर बिठा कर नखाग्रो से उसका पेट फाड़ कर मर डाला, प्रह्लाद को राज सिंहासन पर बिठाया, क्यों की जैसा राजा वैसी प्रजा होगी, राक्षसो में भी धर्म का विस्तार होगा।

कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का नही करना चाहिए परित्याग-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज

कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का नही करना चाहिए परित्याग-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज


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M v online bihar news/बक्सर/जिले के ठोरा गांव स्थिति दूधेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में चल रहे गंगा पुत्र श्री लक्ष्मी नारायण महाराज के सानिध्य में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ जिसमे भक्तो की संख्या काफी देखी जा रही है। वही यज्ञ में आए हुए श्रद्धालुओ ने कहा की ऐसा लगता है जैसे मानो भगवान नारायण के चरणों में जगह मिल गया हो। 


श्री स्वामी जी ने भक्तो को बताते हुए कहा की जीवन मे कितना भी आफत बीपत आवे धर्म का परित्याग नही करना चाहिए। धर्म का मतलब भगवान ,जो वेद कहता हो शास्त्र एवम संत कहते है, उन कार्यों को स्वीकार करना,प्रहलाद के चरित्र की ये विशेषता है,आस्तिक को तो सबने भगवान का दर्शन करादिया ,प्रहलाद ने नास्तिक को भी भगवान का दर्शन करादिया, हिरणकाश्यप ने मना कर दिया हमारे राज्य में कोई यज्ञ , दान, तप नही करेगा, उसी के घर मे भक्त प्रह्लाद हुए,प्रह्लाद को बहुत मारने का प्रयास किया गया , पहाड़ से फेकवाया गया, विस देकर मरने का प्रयास किया, होलिका के द्वारा अग्नि में जलाने का प्रयास किया गया,लेकिन भगवान की कृपा से बच जाते।


अंत में कहा ये प्रह्लाद बता मैं थोड़ा क्रोध करता हु तो तीनो लोक हमसे लापता है पर तू नही डरता, प्रह्लाद ने कहा हे पिता श्रीआप जिसके बल से अपने आप को बलवान मानते हो उसी के कृपा से मैं आपसे नही डरता हू,कहा है तेरा भगवान, कहा सर्वत्र , कसौ यदि सर्वत्र कस्मात स्तंभे न दृश्य ते।। अगर ओ हर जगह विराजमान है तो क्या इस खंभे में भी है, हा पिता श्री मेरी दृष्टी से देखो तो खंभे में भी भगवान है, ज्यो ही खंभे पर खड्ग का प्रहार किया खंभ को तोड़ कर भगवान नरसिंह प्रकट हो गए।संध्या के समय देहली पर अपने जांघ पर बिठा कर नखाग्रो से उसका पेट फाड़ कर मर डाला, प्रह्लाद को राज सिंहासन पर बिठाया, क्यों की जैसा राजा वैसी प्रजा होगी, राक्षसो में भी धर्म का विस्तार होगा।