बिहार में अब कैसे होगा भोज-भात,15 दिसम्बर से पत्तल पर भी प्रतिबंध,पकड़े जाने पर 5 साल जेल
By amit kumar
M v online bihar news/patna/बिहार में इन दिनों शादी का सीजन चल रहा है. तो स्वभाविक है राज्य में खूब भोज भात भी हो रहा है. लेकिन आने वाले दिनों में बिहार में भोज भात करना एक बड़ी चुनौती हो जाएगी. पिछले कुछ वर्षों से भोज भात में प्रचलन में आए थर्मोकोल के पत्तल, कटोरी आदि की बिक्री, उत्पादन, परिवहन और उपयोग पर बिहार सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. प्रतिबंध के कारण राज्य में अब थर्मोकोल का कोई भी उत्पाद नहीं बिकेगा.
बंद का कारण
थर्मोकोल उत्पादों पर यह प्रतिबंध 14 दिसम्बर की मध्य रात्रि से लागू हो रहा है. यानी 15 दिसम्बर से राज्य में थर्मोकोल से बने पत्तल, गिलास, कटोरी आदि की बिक्री और उपयोग की अनुमति नहीं होगी. अगर कोई दुकानदार या उपभोक्ता इसका उल्लंघन करते पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी. प्रतिबंध को लेकर दिशा निर्देश भी बिहार प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की ओर से जारी किया जा चुका है.
पर्यावरण विभाग का निर्देश.
पर्यावरण विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में इस बात की जानकारी दी गई है कि अगर इन नियमों का कोई भी व्यक्ति उल्लंघन करते हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. इसके तहत 5 साल की जेल के साथ ही 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान लागू किया गया है.
कियू हो रहा है बंद
दरअसल न सिर्फ बिहार सरकार बल्कि भारत सरकार ने भी पूरे देश में थर्मोकोल उत्पादों की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध की तैयारी की है. केंद्र सरकार द्वारा 12 अगस्त 2021 को प्रकाशित जारी गजट ऑफ इंडिया के अनुसार पूरे देश में थर्माकोल से बने और एकल उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर 1 जुलाई 2022 से पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है. हालाँकि, केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पहले ही बिहार में 15 दिसंबर 2021 से थर्माकोल से बनी वस्तुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
सहमति जताई
राज्य में थर्मोकोल से बने मुख्य उत्पादों में पत्तल और कटोरी ही हैं. इनका भोज और रेहड़ी पटरी की खानपान की दुकानों पर खूब उपयोग होता है. लेकिन प्रतिबंध के बाद से इसकी जगह केले के पत्ते या अन्य जंगली पत्तों से बने पत्तल का उपयोग ही किया जा सकेगा. या फिर स्टील आदि से बने प्लेट के उपयोग का विकल्प बचेगा.
दुकानदारों की कमाई पर असर
राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने का इस व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों और संगठनों की ओर से विरोध किया जा रहा है. पटना में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया गया. वहीं कुछ संगठन इसके पक्ष में हैं. पर्यावरण संरक्ष्ण की दिशा में इसे राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय बता रहे हैं. अब देखना होगा कि 15 दिसम्बर के बाद किस प्रकार से राज्य में यह प्रतिबंध प्रभावी होगा क्योंकि बिहार में पहले ही कई चीजों पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन वह जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं है.