anish कार्तिक पूर्णिमा पर भागवत कथा का समापन, भंडारे में उमड़े भक्त - . "body"

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 कार्तिक पूर्णिमा पर भागवत कथा का समापन, भंडारे में उमड़े भक्त



By admin

M v online Bihar news/बलिया। शहर से सटे मुबारकपुर में गंगापुत्र श्रीलक्ष्मीनारायण त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के श्रीमुख से चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के समापन पर शुक्रवार को बाबा पशुपतिनाथ आश्रम के प्रांगण में विशाल भंडारे का अयोजन हुआ। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। 


पशुपतिनाथ बाबा के आश्रम पर 13 नवम्बर से ही गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज भागवत कथा का वाचन कर रहे थे। भंडारे से पहले कार्तिक पूर्णिमा पर कथा का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की कथा का श्रवण करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। 'माम एव ये प्रपद्यंते माया मेताम तरंतीते...' का जिक्र करते हुए परीक्षित के बारे में बताया। त्रिदंडी स्वामी ने कहा कि 


हे परिक्षित इंद्रियों को निग्रहित करना बड़ी कठिन है। आप आंख बन्द कर के बैठो और कोई पीछे खड़ा हो, पता चल जाता है। कोई पीछे खड़ा है, इंद्रियों की अपेक्षा मन सुक्ष्म है। जैसे गीता में अर्जुन ने भगवान से पूछा। चंचलम ही मन: कृष्णम, भगवान ने एक वाक्य में कह दिया, अभ्यासे न तू कौंतेय वैरागे न च गृहयते। अब क्या करे इंद्रियों को निग्रह किया नहीं जा सकता। मन को निग्रह किया नहीं जा सकता। चित को समाहित किया नही जा सकता, बुद्धि भगवान में लग नही रही है, अब जीव करे क्या,


ब्रम्हा जी कह रहे है। बस भगवान को हृदय में बिठा लो, पर भगवान बैठेंगे कैसे ? जैसे संसारियों के साथ रहते संसार मन में बैठ गया वैसे ही। भगवान व भक्तों का साथ करते-करते मन में भगवान बैठ जायेंगे। भगवान श्रवण मार्ग से हृदय में बैठते हैं। ब्रम्हा कहते हैं मैंने भगवान के नाम, रूप, लीला धाम का आश्रय लिया और भगवान हृदय में बैठ गए। भगवान की माया से बचना है तो भगवान के चरणो में चले जाओ। कथा समापन के बाद दोपहर से ही भंडारे की शुरुआत हो गई। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। आयोजन समिति के लोगों ने भक्ति भाव से प्रसाद ग्रहण कराया।

कार्तिक पूर्णिमा पर भागवत कथा का समापन, भंडारे में उमड़े भक्त

 कार्तिक पूर्णिमा पर भागवत कथा का समापन, भंडारे में उमड़े भक्त



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M v online Bihar news/बलिया। शहर से सटे मुबारकपुर में गंगापुत्र श्रीलक्ष्मीनारायण त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के श्रीमुख से चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के समापन पर शुक्रवार को बाबा पशुपतिनाथ आश्रम के प्रांगण में विशाल भंडारे का अयोजन हुआ। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। 


पशुपतिनाथ बाबा के आश्रम पर 13 नवम्बर से ही गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज भागवत कथा का वाचन कर रहे थे। भंडारे से पहले कार्तिक पूर्णिमा पर कथा का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की कथा का श्रवण करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। 'माम एव ये प्रपद्यंते माया मेताम तरंतीते...' का जिक्र करते हुए परीक्षित के बारे में बताया। त्रिदंडी स्वामी ने कहा कि 


हे परिक्षित इंद्रियों को निग्रहित करना बड़ी कठिन है। आप आंख बन्द कर के बैठो और कोई पीछे खड़ा हो, पता चल जाता है। कोई पीछे खड़ा है, इंद्रियों की अपेक्षा मन सुक्ष्म है। जैसे गीता में अर्जुन ने भगवान से पूछा। चंचलम ही मन: कृष्णम, भगवान ने एक वाक्य में कह दिया, अभ्यासे न तू कौंतेय वैरागे न च गृहयते। अब क्या करे इंद्रियों को निग्रह किया नहीं जा सकता। मन को निग्रह किया नहीं जा सकता। चित को समाहित किया नही जा सकता, बुद्धि भगवान में लग नही रही है, अब जीव करे क्या,


ब्रम्हा जी कह रहे है। बस भगवान को हृदय में बिठा लो, पर भगवान बैठेंगे कैसे ? जैसे संसारियों के साथ रहते संसार मन में बैठ गया वैसे ही। भगवान व भक्तों का साथ करते-करते मन में भगवान बैठ जायेंगे। भगवान श्रवण मार्ग से हृदय में बैठते हैं। ब्रम्हा कहते हैं मैंने भगवान के नाम, रूप, लीला धाम का आश्रय लिया और भगवान हृदय में बैठ गए। भगवान की माया से बचना है तो भगवान के चरणो में चले जाओ। कथा समापन के बाद दोपहर से ही भंडारे की शुरुआत हो गई। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। आयोजन समिति के लोगों ने भक्ति भाव से प्रसाद ग्रहण कराया।